हक़ीकत बयान कर रहे हैं हम , 
नज़ाकत पर ग़ौर फ़रमा  रहे हो तुम 

क़रीब से जानते थे तुम्हें कभी 
फ़ासला हो गया है हम में अभी 

सुकून नहीं है वबा के इस दौर में 
हर शक़्स मशरूफ है अपनी जान बचाने में 

तिलस्मी ताबीज़ खोज रहे हैं इस वबा में 
न जाने कब रोशन होगी दुनिया इस अंधेर से 

दीगर हमसफ़र का दीदार हमें नसीब है 
मुश्किल भी अब मुमकिन नज़र आता है 

चाहत है इक दरियादिल रहनुमा की 
वरना गरीब तो बेमौत मारे जायेंगे 

तकल्लुफ की फ़रियाद करने की
न उन्होंने सुना न हमें सुनाई दिया 

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